Monday, April 16, 2012

मैं सोच रहा था ..

वे कह रहे थे - सूरज पूरब से निकलता है ..
लेकिन किसी तथाकथित महान ने सुनकर अत्यंत क्रोधित होकर कहा -
क्या फालतू बात करते हैं .. चुप रहिये .. जब आपको नहीं मालूम है .. आपको मालूम होना चाहिये कि सूरज न तो पश्चिम से और न ही उत्तर से और ना ही दक्षिण से उगता है ..
वह अदना सा व्यक्ति, सामने वाले के सम्मान में, संभवतः सामने वाले का लिहाज करता हुआ, क्रोधित चेहरे को देख रहा था ..
तथाकथित सर्वज्ञाता को प्रणाम कर वह लौट गया ..
वह लौट गया .. तो क्या हुआ ? किसी ने पूछा ..
फिर ..
फिर क्या मालूम क्या हुआ ..
क्योंकि शायद वह शुभचिंतक था इसलिये फिर पलटकर उन्हें क्रोधित करने नहीं जाना चाहता था ..
मैं भी वहां खड़ा था ..
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..

...............................

वो कह रहे थे -
किसी के बारे में ..
कि देखो .. वे कितने महान हैं कि जब हमने महान कहते हुए, उनकी तारीफ करने लगे तो नतीजा यह निकला कि वे हमें ही बेवकूफ समझने लगे और फिर वे भूल गये कि वे दरअसल क्या हैं और महान कहने वाले को ही गुस्से से मूर्ख कहकर चुप रहने कह दिया ..
फिर ..
फिर क्या ..
वे महान ..
दरअसल तथाकथित महान व्यक्ति ..
मिलने वाले सम्मान को नहीं बचा पाये और फिर अकेले ही रह गये क्योंकि उनकी तारीफ करने वाले को तो उनने, अपने क्रोध से किनारे कर दिया था ..
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..

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