Monday, March 29, 2010

किसी ने कहा -

कई बार बातों ही बातों में हमें कोई ऐसी बात बता जाता है जो व्यवहारिकता के स्तर पर हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं । कल ऐसी ही कोई बात कोई कर रहा था -
यदि कोई अनियंत्रित गति से और बेपरवाह व बेतरतीब होकर सड़क पर जा रहा है और आपको उसके इस दुर्व्वहार से यदि जरा सा भी धक्का लगता है या फिर चोट पहूंचती है तो - आपकी प्रतिक्रिया की दरअसल कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा करके आप अपना ही वक्त और ज्यादा ही जायज करते हैं और फिर आगे चलकर यदि उसने उपने आपको नहीं सुधारा तो .. आगे कहीं भी टकराकर गिर सकता है .. वक्त आपका कीमती है .. इसे व्यर्थ की या फिर फिजूल की बातों में खर्च करना कोई बुद्धिमानी तो नहीं है .. ।

Monday, March 22, 2010

कोई ख्याल ..

कई बार ऐसा लगता कि जो मैं सोच रहा हूं वह किसी को भी पता नहीं चले और मैं खुश भी इस बात से रहता हूं कई बार कि मैं क्या सोच रहा हूं वह किसी को भी नहीं मालूम । लेकिन कई बार ऐसा भी तो लगता है कि मैं क्या सोच रहा हूं वह केवल उसे ही मालूम हो जिसे मैं चाहता हूं कि मालूम हो । मैं जानता हूं कि यह संभव नहीं है लेकिन .. जो मैंने सोचा वह लिख दिया । कोई इस बात से सहमत है या नहीं .. मैं नहीं सोच रहा हूं यह सब .. क्योंकि ऐसा कोई भी ख्याल जो किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए .. मैं उसे ही ठीक समझता हूं .. ।

sensible one ..

I intend but not forcing you to love me .. but please do not let love be the reason to hate me ..

Monday, March 08, 2010

चिंतन ..

कुछ न कुछ छुपा है .. सभी के अंदर । मेरे अंदर भी है .. मैं कोई दुनिया से अलग थोड़े न हूं .. और मुझे मालूम है कि आपके अंदर भी है .. । छुपी वह बात .. वह खुशी या वह दर्द .. मैं किसी से बांट नहीं सकता .. कभी बांटने का ख्याल आता भी है तो फिर .. डर जाता हूं कि कहीं .. फिसलकर मेरी बात आम न हो जाये । इन बातों का रिश्ता मेरी सांस से बेहद करीब का है । जब तक सांस है .. तब तलक जिंदा है वह बात .. वह जज्बात .. मेरे अन्दर .. फिर, सांस के उखड़ते ही .. फिर वह भी खत्म .. वह कह रहा था । वह कह रहा था .. मैं सोच रहा था ..