लेकिन .. मुझे लिखते समय इस बात का ध्यान जरूर रहता है कि जो भी मैं लिखूं उससे, मेरी समझ से, किसी को, कतई नुकसान न हो .. और फिर जो मैं सोचता हूं उसे लिख देता हूं इसलिये कि मैं यह बख़ूबी जानता हूं कि मेरी सोच किसी को रूसवा नहीं कर सकती .. तो फिर उसे अभिव्यक्त करने में कौन सा मेरा या फिर किसी और का घटता है ..
मैं सोच रहा था ..
मैं चिंतन कर रहा था .. मैं लिख रहा था .. फिर से ..
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