कैनवास
( डॉ. जे.एस.बी. नायडू की कलम से )
Tuesday, May 24, 2011
विचारों की आवारागर्दी ..
विचारों की आवारागर्दी तो देखो कि - कभी-कभी सोच तो नहीं मालूम कहां-कहां चली जाती है .. ये तो अच्छा है कि कोई ये नहीं जान पाता कि मैं क्या सोच रहा हूं .. और ये बात मुझे गजब का सुकून देती है और मैं फिर से सोचने लग जाता हूं ..
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