कैनवास
( डॉ. जे.एस.बी. नायडू की कलम से )
Tuesday, April 26, 2011
मैं सोच रहा था ..
रेखा और रंग .. समय के आघात से टूटकर कुछ इस तरह से इकट्ठे हो गये थे कि मजबूर होकर .. मैं सोच रहा था .. कि आखिर ये क्या संप्रेषित करना चाहते हैं ..
1 comment:
श्रीराम बिस्सा
April 26, 2011 at 8:00 AM
NICE ONE
SHREERAM BISSA HTTP://ADHYATMJYOTISHDARSHAN.BLOGSPOT.COM/
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