कैनवास
( डॉ. जे.एस.बी. नायडू की कलम से )
Monday, May 03, 2010
मुझे बहुत दुख हुआ ..
मैंने हिंदी माध्यम में बारहवीं पास, किसी को देखा कि वह चाण्डक, पाटिल या फिर पूजा जैसे हिन्दी के शब्दों को लिखने में असमर्थ है । शिक्षा के इस स्तर को देखकर, मैं हतप्रभ था । मुझे आश्चर्य भी हुआ और दुख भी बहुत ।
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