Sunday, January 03, 2010

03 जनवरी 2010 . रविवार .
कुछ युवाओं को मैंने बातें करते हुए सुना - हमें तो वही कैरियर चुनना चाहिये जो हमको पसंद हो । जबकि मेरे माता-पिता सख्त खिलाफ हैं इस बात के लिये कि मैं उनकी बात नहीं मानकर जिद लिये बैठा हूं कि मैं तो अपना कैरियर किसी और ही फिल्ड में बनाना चाहता हूं । मैंने तो अपने डैड से कहा कि आप अपने अनुभव से सोचते हैं जिसमें आपकी परिस्थितियां शामिल रही होंगी । फिर मैंने उनको एक अखबार पढ़ाया जिसमें किसी कामयाब व्यक्ति की कही हुई बात लिखी थी कि मैं आज कामयाबी के उंचे धरातल पर हूं जबकि मेरे पिता ने मेरे स्कूल के दिनों में ही इस फिल्ड में जाने के लिये मना किया था और नाराजगी जताई थी । लेकिन पिता के विरोध के बावजूद मैंने ऐसा किया और देखो अब मैं कितना सफल हूं ।
मैं सोच रहा था कि इक्के-दुक्के उदाहरण को लेकर कोई अपनी बात को सही ठहराने की कोशिश अवश्य कर सकता हैं । लेकिन शायद यह समझना भी जरूरी है कि हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा कामयाब बनें और उसकी जिंदगी में कम से कम प्रतिरोध आये इसलिये उनकी इस भावना को बिना सोचे-समझे अपमानजनक ढंग से ठुकराकर गैरवाजिब, अप्रासंगिक व बेसिरपैर का कहना बुद्धिमानी नहीं है । आप किसी रास्ते से जाकर कोई आरामदायक स्थिति को प्राप्त कर और फिर अपने शौक को पूरा कर सकते हैं । फिल्मों में प्रसिद्ध चिकित्सक व खेल के क्षेत्र में सफलता हासिल करने वालों को नहीं भूलना चाहिये कि किसी प्रतिष्ठा को प्राप्त करने के बाद अपने मनचाहे कैरियर में जाकर उन्होने कामयाबी हासिल की ।
मैंने इसी विषय पर किसी उम्र दराज से बात किया तो उनका कहना था - किसी मंजिल को प्राप्त करने के बाद फिर यदि कोई अपने शौक पर जा टिकता है और वहीं कामयाबी के नये आयाम स्थापित करता है तो यह शायद ज्यादा अक्लमंदी की बात होगी ।
सोच के इस आयाम को भी तो नकारा नहीं जा सकता .. ।

- डा. जेएसबी नायडू

4 comments:

  1. कल मेरे कॉफे में नीलोफर अपने बी कॉम के सप्लीमेण्ट्री (पूरक) परीक्षा का परिणाम लेने।
    राजस्थानी में कहावत है कि रोते आये और मरे खी खबर लेकर गये की तर्ज पर नीलोफर फिर फेल हो गई। परिणाम देखते ही वो इतनी रोई कि बस पूछिये मत। नीलोफर का कहना था भैया मेने अपने घर वालों को कई बार कह दिया कि मुझसे थियरी नहीं लिखी जाती ना मुजे याद होती है। मुजसे प्रेक्टिकल करवा लो मैं पूरे नंबर लाकर दिखा दूंगी। मैं फैशन डिजाईनिंग का कोर्स करना चाहती हूं पर मेरे बड़े भाई ने एमबीए कर लिया है और छोटा भी कर रहा है तो जबरन मुझे भी एमबीए करवाना चाहते हैं।
    मैं इस उदाहरण से कहना चाहता हूं कि जरूरी नहीं कि हर बार माँ-बाप सही ही हो..
    बढ़िया पोस्ट।
    ॥दस्तक॥,
    गीतों की महफिल,
    तकनीकी दस्तक

    ReplyDelete
  2. Mata pitane salah mashwira dena chahiye lekin apnee baat bchhon pe thopni nahee chahiye!

    Blog jagat me aapka tahe dilse swagat hai!

    ReplyDelete
  3. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।

    ReplyDelete
  4. Shubhkamanayen,
    Krupaya likhate rahen.

    ReplyDelete